Goa Industrial Development Corporation Exit Scheme एक क्रांतिकारी पहल है, जिसका उद्देश्य राज्य के औद्योगिक परिदृश्य को पुनर्जीवित करना है। इस योजना के माध्यम से 423 गैर-क्रियाशील औद्योगिक इकाइयों द्वारा कब्जा किए गए 12 लाख वर्ग मीटर भूमि को मुक्त किया जाएगा। इसका उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, रोजगार सृजन करना और नए व्यवसायों को आकर्षित करना है।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत द्वारा शुरू की गई यह योजना व्यवसाय सुगमता (EODB) ढांचे के अनुरूप है, जो गोवा में औद्योगिक विकास को अधिक गतिशील और सतत बनाने के लिए बनाई गई है।
यदि आप एक उद्यमी या उद्योगपति हैं और गोवा में निवेश करने के इच्छुक हैं, तो यह योजना आपके लिए सुनहरा अवसर साबित हो सकती है। आइए, इस योजना के उद्देश्यों, लाभों और गोवा के औद्योगिक क्षेत्र पर इसके प्रभाव को विस्तार से समझते हैं।
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने गोवा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (जीआईडीसी) एक्जिट सपोर्ट स्कीम लॉन्च की, जिसका उद्देश्य बीमार औद्योगिक इकाइयों को राज्य छोड़ने में सहायता करना है। यह योजना 423 प्लॉट्स को लक्षित करती है, जो 12,75,000 वर्ग मीटर बेकार क्षेत्र में फैले हैं, और इसका उद्देश्य नई निवेश, रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास के लिए भूमि को मुक्त करना है।
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Goa Industrial Development Corporation Exit Scheme को समझना
गोवा औद्योगिक विकास निगम (GIDC) ने इस योजना को उन औद्योगिक प्लॉट्स की समस्या का समाधान करने के लिए शुरू किया है, जो वर्षों से अनुपयोगी पड़े हैं। यह योजना गैर-कार्यशील औद्योगिक इकाइयों के लिए एक संरचित निकास तंत्र प्रदान करती है, जिससे खाली भूमि को नए और गतिशील उद्योगों के लिए पुनः उपयोग किया जा सके।
विवरण | विवरण |
योजना का नाम | Goa Industrial Development Corporation Exit Scheme |
मुख्यमंत्री | प्रमोद सावंत |
उद्देश्य | – गैर-क्रियाशील औद्योगिक इकाइयों द्वारा कब्जा की गई भूमि का पुनः उपयोग – आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, और नए व्यवसायों को आकर्षित करना |
मुख्य विशेषताएँ | 1. सरल भूमि हस्तांतरण और ई-नीलामी प्रक्रिया 2. तेज़ लाइसेंसिंग और अनुमोदन प्रक्रिया 3. बुनियादी ढांचे का सुधार 4. डिजिटल निगरानी प्रणाली (GPS आधारित सर्वेक्षण और पारदर्शिता) |
लाभ | – मौजूदा औद्योगिक इकाइयों के लिए निकास मार्ग और पुनर्निवेश के अवसर – नए निवेशकों के लिए प्रमुख औद्योगिक भूमि सुलभ और प्रतिस्पर्धी दरों पर |
आर्थिक प्रभाव | 1. औद्योगिक विकास और भूमि उपयोग 2. रोजगार सृजन 3. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने में मदद 4. सरकारी राजस्व में वृद्धि |
कार्यान्वयन की प्रक्रिया | 1. गैर-क्रियाशील इकाइयों की पहचान (GPS सर्वेक्षण) 2. ई-नीलामी प्रक्रिया 3. नीति समर्थन और त्वरित मंजूरी 4. बुनियादी ढांचा सुधार (सड़क, जल आपूर्ति, विद्युत) |
आवेदन कैसे करें? | 1. GIDC पोर्टल पर जाएं 2. आवेदन सबमिट करें 3. ई-नीलामी में भाग लें 4. स्वीकृति और आवंटन 5. व्यवसाय संचालन प्रारंभ करें |
योजना की मुख्य विशेषताएँ
सरल भूमि हस्तांतरण और ई-नीलामी प्रक्रिया
- यह योजना गैर-क्रियाशील औद्योगिक इकाइयों को सुगम निकास मार्ग प्रदान करती है।
- अनुपयोगी औद्योगिक प्लॉट्स की ई-नीलामी के माध्यम से पुनर्वितरण।
तेजी से लाइसेंसिंग और अनुमोदन
- उद्यमियों और निवेशकों को सरलीकृत अनुमोदन प्रक्रिया का लाभ मिलेगा।
- लाइसेंस नवीनीकरण की तेज प्रक्रिया, जिससे प्रशासनिक अड़चनें कम होंगी।
बुनियादी ढांचे का विकास
- औद्योगिक सम्पदाओं के सुधार और आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
- सड़क, बिजली आपूर्ति और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी सुविधाओं में सुधार।
डिजिटल निगरानी प्रणाली
- GPS-आधारित डिजिटल सर्वेक्षण के माध्यम से अनुपयोगी प्लॉट्स की पहचान और निगरानी।
- पारदर्शी भूमि आवंटन प्रक्रिया, जिससे सभी निवेशकों को समान अवसर मिलें।
उद्योगपतियों और उद्यमियों को इस योजना से होने वाले लाभ
Goa Industrial Development Corporation Exit Scheme मौजूदा औद्योगिक इकाइयों और नए निवेशकों दोनों के लिए लाभप्रद है।
मौजूदा औद्योगिक इकाइयों के लिए
- आसान निकास मार्ग, जिससे संघर्षरत उद्योग अपनी संपत्तियों का उचित निपटान कर सकते हैं।
- गैर-उत्पादक निवेश से राहत, जिससे नए व्यापारिक अवसरों में पुनर्निवेश संभव होगा।
नए उद्यमियों और निवेशकों के लिए
- प्रमुख औद्योगिक भूमि सुलभ होगी, वह भी प्रतिस्पर्धी दरों पर।
- पूर्व-स्वीकृत लाइसेंस और प्रोत्साहनों के माध्यम से सरल प्रवेश।
- आईटी, निर्माण और पर्यटन उद्योगों जैसे नवाचार-आधारित उद्योगों को बढ़ावा।
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इस योजना का आर्थिक प्रभाव
Goa Industrial Development Corporation Exit Scheme का राज्य की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
1. औद्योगिक विकास को बढ़ावा
- 12 लाख वर्ग मीटर भूमि के उपयोग से नए उद्योगों को स्थान मिलेगा।
- पारंपरिक उद्योगों के साथ-साथ नवीन क्षेत्रों का विकास।
2. रोजगार सृजन
- नए उद्योगों से गोवा के युवाओं के लिए अधिक नौकरियों के अवसर बनेंगे।
- यह योजना कौशल विकास कार्यक्रमों के साथ भी जुड़ी हुई है।
3. निवेश में वृद्धि
- यह योजना राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने में सहायक होगी।
- गोवा को एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।
4. सरकारी राजस्व में वृद्धि
- औद्योगिक गतिविधि से कर राजस्व और आर्थिक स्थिरता में वृद्धि होगी।
- गोवा को व्यवसाय-अनुकूल राज्य के रूप में मजबूत करेगा।
योजना का कार्यान्वयन
गोवा औद्योगिक विकास निगम (GIDC) ने इस योजना को सफल बनाने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाया है।
1. गैर-क्रियाशील इकाइयों की पहचान
- GPS सर्वेक्षण के माध्यम से गैर-संचालित औद्योगिक प्लॉट्स की पहचान।
2. ई-नीलामी प्रक्रिया
- पारदर्शिता और निष्पक्ष आवंटन सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन नीलामी।
3. नीति समर्थन और त्वरित मंजूरी
- नए उद्योगों के लिए त्वरित अनुमोदन प्रणाली।
4. बुनियादी ढांचा सुधार
- सड़क, जल आपूर्ति, विद्युत और कनेक्टिविटी में सुधार।

योजना के लिए आवेदन कैसे करें?
1. GIDC पोर्टल पर जाएं
- ई-नीलामी की तारीखें और दिशानिर्देश देखें।
2. आवेदन सबमिट करें
- मौजूदा इकाई मालिकों को निकास दस्तावेज जमा करने होंगे।
- नए निवेशकों को नीलामी पंजीकरण और प्रस्ताव जमा करना होगा।
3. ई-नीलामी में भाग लें
- औद्योगिक भूखंडों के लिए बोली लगाएं।
4. स्वीकृति और आवंटन
- सफल बोलीदाताओं को भूमि आवंटन की मंजूरी मिलेगी।
5. व्यवसाय संचालन प्रारंभ करें
- आवश्यक लाइसेंस प्राप्त कर औद्योगिक भूखंड का विकास करें।
निष्कर्ष
Goa Industrial Development Corporation Exit Scheme केवल एक नीति नहीं, बल्कि गोवा के औद्योगिक विकास के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। यह संघर्षरत इकाइयों को निकास का अवसर और नए निवेशकों को व्यवसाय स्थापित करने का सुनहरा मौका प्रदान करती है।
जो उद्योगपति और उद्यमी गोवा में निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए यह योजना व्यावसायिक सफलता का आधार बन सकती है।
FAQ:
Q: Goa Industrial Development Corporation Exit Scheme क्या है?
Ans: गोवा औद्योगिक विकास निगम निकास सहायता योजना एक पहल है जिसका उद्देश्य उन गैर-क्रियाशील औद्योगिक इकाइयों से भूमि को मुक्त करना है, जो वर्षों से अनुपयोगी पड़ी हुई हैं। इस योजना के तहत 12 लाख वर्ग मीटर भूमि को नए उद्योगों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और नए व्यवसायों को आकर्षित किया जा सके।
Q: इस योजना के तहत क्या लाभ प्राप्त हो सकते हैं?
Ans: इस योजना से मौजूदा औद्योगिक इकाइयों को निकास का अवसर मिलेगा, जिससे वे अपनी संपत्तियों का उचित निपटान कर सकते हैं। नए निवेशकों को प्रमुख औद्योगिक भूमि प्रतिस्पर्धी दरों पर मिल सकती है, और सरल लाइसेंसिंग प्रक्रिया के जरिए वे आसानी से व्यापार स्थापित कर सकते हैं।
Q: क्या इस योजना के तहत आवेदन प्रक्रिया सरल है?
Ans: हां, आवेदन प्रक्रिया सरल है। इसके लिए आपको GIDC पोर्टल पर जाकर ई-नीलामी की तारीखें और दिशानिर्देश देख सकते हैं, आवेदन सबमिट कर सकते हैं और औद्योगिक भूखंडों के लिए बोली लगा सकते हैं। सफल बोलीदाताओं को भूमि आवंटन की मंजूरी दी जाती है और फिर वे अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।
Q: इस योजना का आर्थिक प्रभाव क्या होगा?
Ans: इस योजना का आर्थिक प्रभाव राज्य की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक होगा। नए उद्योगों के लिए भूमि उपलब्ध होने से औद्योगिक विकास बढ़ेगा, रोजगार सृजन होगा और निवेश में वृद्धि होगी। यह गोवा को एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।
Q: इस योजना का कार्यान्वयन कैसे किया जाएगा?
Ans: योजना का कार्यान्वयन GPS सर्वेक्षण के माध्यम से गैर-क्रियाशील इकाइयों की पहचान से शुरू होगा। फिर, ई-नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से भूमि का पुनर्वितरण किया जाएगा, साथ ही नए उद्योगों के लिए त्वरित अनुमोदन प्रक्रिया और बुनियादी ढांचे में सुधार किया जाएगा।
Q: गोवा आईडीसी के अध्यक्ष कौन हैं?
Ans: गोवा औद्योगिक विकास निगम (Goa-IDC) के अध्यक्ष अलेक्सो रेजिनाल्डो लॉरेनको ने पणजी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि इस प्लेटफॉर्म का औपचारिक शुभारंभ गोवा के व्यापार करने की सहजता को बढ़ाने और एक जीवंत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
Q: गोवा का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र कौन सा है?
Ans: कोरलीम औद्योगिक क्षेत्र गोवा का सबसे पुराना औद्योगिक क्षेत्र है और सांगेम औद्योगिक क्षेत्र गोवा में स्थापित किया गया नया औद्योगिक क्षेत्र है। जहां तक क्षेत्रफल की बात है, वेरना सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है और मापसा गोवा का सबसे छोटा औद्योगिक क्षेत्र है।
Q: गोवा की औद्योगिक नीति का उद्देश्य क्या है?
Ans: यह नीति राज्य में 5 वर्षों के भीतर 30,000 नौकरियां सृजित करने और 20,000 करोड़ रुपये का निवेश लाने का उद्देश्य रखती है। यह नीति राज्य में सभी क्षेत्रों और प्रकार के निवेश के लिए खुली है, सिवाय उन निवेशों के जो बहिष्करण अनुभाग में शामिल हैं।
Q: गोवा में GIDC का पूर्ण रूप क्या है?
Ans: पणजी: गोवा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (GIDC) ने एक ऑनलाइन ई-गवर्नेंस प्लेटफार्म ‘OPEN’ लॉन्च किया है, जो औद्योगिक इकाइयों को नियामक अनुमतियाँ प्राप्त करने और अनुपालन सुनिश्चित करने की सुविधा प्रदान करता है।
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